तू खुद की खोज में निकल
Friends today i want to narrate you a short poem written by Tanveer Ghazi Sahab which motivates me a lot when i first read it. The words are...... तू खुद की खोज में निकल तू किस लिए हताश है तू चल, तेरे वजूद की समय को भी तलाश है समय को भी तलाश है……. जो तुझ से लिपटी बेड़ियाँ समझ ना इनको वस्त्र तू जो तुझ से लिपटी बेड़ियाँ समझ ना इनको वस्त्र तू ये बेड़ियाँ पिघाल के बना ले इनको शस्त्र तू बना ले इनको शस्त्र तू……. तू खुद की खोज में निकल तू किस लिए हताश है तू चल, तेरे वजूद की समय को भी तलाश है समय को भी तलाश है……. चरित्र जब पवित्र है तो क्यूँ है ये दशा तेरी चरित्र जब पवित्र है तो क्यूँ है ये दशा तेरी ये पापियों को हक़ नही क...

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